सावन के अंधे को हरा -हरा क्यों दीखता है?
आज दक्षिण भारत के चेन्नई में डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि के जन्मदिन समारोह में विपक्षी पार्टियों के बड़े नेता पहुंच रहे हैं और इस बहाने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ एक साझा रणनीति के कयास भी लगाए जा रहे हैं. ये सभी नेतावो का बस एक ही सपना है की अपनी पार्टी का जनाधार कैसे बनाये रखा जाये। आज जबकि पूरी दुनिया में राष्ट्रवाद , विकास का मुद्दा छाया है ये लोग समझ नहीं पा रहे की कौन सा मुद्दा उछाला जाये।
आज इन्हे लगता है की इंडिया बर्बाद हो रहा है देश टूट रहा है आदि आदि।
सच तो यह है की ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा और ना ही होने वाला है इंडिया की सांस्कृतिक विरासत इतनी समृद्ध है की कितने आक्रांता आये और चले गए पर इंडिया को कुछ भी नहीं हुआ।
इन नेतावो को लगता है की देश खतरे में है पर जरा यह लोग अपने एयर कंडीशंड रूम से बाहर देखे तो पता चलेगा की आज भी ट्रेन में उतनी ही भीड़ है , अस्पताल में उतने ही मरीज है , बस और ट्रक उसी तरह से चल रहे है , आम लोगो की जिंदगी डेली रूटीन पर ही चल रही है जितना उनके शाशन के समय में था।
यह सारा ड्रामा खुद की सत्ता को बनाए रखने के लिए हो रहा है।
करुणानिधि शनिवार को 94 साल के हो रहे हैं. यह समारोह विपक्षी एकजुटता की कुछ पुरानी यादें भी साथ ले आया है.
26 साल पहले, 1989 में उन्हीं के बुलावे पर चेन्नई में विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर आए थे और इसका नतीजा वीपी सिंह की अगुवाई वाले राष्ट्रीय मोर्चे के गठन के तौर पर सामने आया था. तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, अब बीजेपी की सरकार है.
यह करुणानिधि के राजनीतिक कौशल का भी सबूत है कि वह दोनों तरफ़ से सियासी पारियां खेल चुके हैं. वह अटल बिहारी वाजपेयी की गठबंधन सरकार में साझेदार रहे तो मनमोहन सिंह के समय यूपीए सरकार में भी शामिल रहे.
उनके जन्मदिन पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पुड्डुचेरी के कांग्रेसी मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, सीपीएम के सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक-ओ-ब्रायन, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, सीपीआई के डी राजा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के के एम कादिर मोहिदीन शामिल होंगे. आरजेडी के लालू प्रसाद यादव स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से नहीं आ रहे हैं.
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