बिना लेबल पढ़े जो खाये सो पछताय
आपके खाने में चीनी, नमक और वसा कितनी
मात्रा में है यह जानना ज़रूरी है. खाने-पीने की चीज़ों पर लगा लेबल ठीक
से न पढ़ना अपनी सेहत की अनदेखी करना ही है.
मुंबई की प्रमुख
डायटीशियन डॉक्टर योगिता गोरडिया कहती हैं, "सबसे पहले हमें पढ़नी होगी
कैलोरी की मात्रा. कैलोरी खाने से मिलने वाली ऊर्जा का पैमाना है. यह
ज़रूरी इसलिए है क्योंकि जब शरीर में कैलोरी की खपत नहीं हो पाती तो यह
चर्बी बनकर शरीर में डेरा डाल देती हैं."डॉक्टर योगिता कहती हैं, "एक वयस्क को तक़रीबन 2000-2500 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है. वहीं एक बच्चे के लिए 1000-1400 किलो कैलोरी के बीच चाहिए. मगर गतिविधियों में सक्रियता और जीवन-शैली के अनुसार लोगों को कम या अधिक कैलोरीज़ की ज़रूरत पड़ सकती है."
वे बताती हैं, "लगभग 40 कैलोरी वाली चीज़ें लो-कैलोरी, 100 कैलोरी वाली चीज़ों को मीडियम और 250 कैलोरी वाली चीज़ें हाई कैलोरी मानी जाती हैं."
कैलोरी गिनने के बाद मात्रा के बारे में पढ़ना ज़रूरी है, जिसके बारे में डॉक्टर कहती हैं, "सर्विंग साइज़ यानी मात्रा इसलिए जानना ज़रूरी है क्योंकि लेबल पर जानकारी एक सर्विंग यानी एक बार में परोसे गए भाग के लिए होती है. अगर एक नूडल्स के पैकेट में दो सर्विंग नूडल्स हैं, तो उसे पूरा ख़त्म करने का मतलब होगा दोगुनी कैलोरी और दोगुने फैट्स."
फूड लेबल ये ज़रूर देखना चाहिए कि चीनी, नमक और फैट कितना है, और विज्ञापनों के झाँसे में नहीं आना चाहिए. डॉक्टर गोरडिया मिसाल देती हैं कि “एनर्जी ड्रिंक्स में भले ही कई पोषक तत्व हों, उनकी अक्सर चीनी होती है, जो सूची में सबसे पहले लिखी जाती है, उसे ज़रूर चेक करना चाहिए."
ऐसे समझें फूड लेबल को.
नूडल्स
डॉक्टर योगिता नूडल्स के दो लोकप्रिय ब्रांड्स के लेबलों को परखते हुए कहती हैं, "सबसे पहली बात यह कि ऐसे ब्रांड अक्सर मैदा और आटा दोनों को ही 'वीट फ्लॉर' लिखते हैं जिससे स्पष्ट नहीं होता कि इसमें मैदा है या आटा."
जो दोनों ब्रांडों में सबसे अधिक अस्पष्ट है वह है सोडियम की मात्रा. वो कहती हैं, "नमक दोनों पैकेट्स पर तीन अलग-अलग बार लिखा गया है. प्रिज़र्वेटिव में भी सोडियम मौजूद है पर सोडियम की स्पष्ट मात्रा या प्रतिशत दोनों ही पैकेट्स पर लिखी हुई नहीं है. जो ग़लत है"
डाइजेस्टिव बिस्किट्सडाइजेस्टिव बिस्किट्स के 'हेल्दी' होने का काफी प्रचार किया गया है.
क्या वे वाक़ई हेल्दी हैं. इसके बारे में डॉक्टर योगिता कहती हैं, "आप ख़ुद ही सोचिए, साबुत ओट्स, जिसमें कोई मिलावट न हो, बिल्कुल बेस्वाद होती है."
वह आगे कहती हैं, "इन बिस्किट्स में ओट्स को चीनी के सिरप के साथ मिलाया जाता हैं, जैसा कि आप इन लेबलों पर देख सकते हैं."
कोल्ड-ड्रिंक्स
बाज़ार में सबसे लोकप्रिय दो ब्रांड्स की कोल्ड-ड्रिंक्स के लेबल पर डॉक्टर योगिता कहती हैं, "सबसे पहले चीनी की मात्रा देखिए, 100 मिली में 10.4 ग्राम और 11 ग्राम ! इतनी चीनी हर किसी के लिए बेहद नुक़सानदेह है."
फिर दोनों ही लेबल्स पर लिखे एसिडिटी रेगुलेटर 338 के बारे में डॉक्टर कहती हैं, "यह प्रीज़र्वेटिव फॉस्फोरिक एसिड है जो हड्डियों की गंभीर समस्या ऑस्टियोपोरोसिस का कारण हो सकता है."
साथ ही वो कहती हैं, "इसमें कैफ़ीन है जो कि बच्चों के लिए अधिक नुक़सानदेह है, मगर लेबल पर कहीं ऐसा नहीं लिखा गया है."
उसके अलावा इन डाइट कोल्ड ड्रिंक्स में एसपारटेम नामक पदार्थ मौजूद होता है जो कि ख़ासकर बच्चों के दिमाग़ पर बुरा असर डालता है.
कॉर्नफ़्लेक्स
घर-घर में नाश्ते के रूप में लोकप्रिय कॉर्नफ़्लेक्स के बारे में डॉक्टर योगिता कहती हैं, "कॉर्नफ़्लेक्स की प्रोसेसिंग के दौरान भुट्टे के कई पोषक तत्व खो जाते हैं. साथ ही जैसा कि इनकी लेबल में दिखता है उनमें चीनी और नमक की कोई कमी नहीं होती."
वह कहती हैं, "अच्छी बात यह है कि इसमें विटामिन, फोलेट, आयरन जैसे पोषक तत्व हैं, मगर इसमें सैचुरेटेड फैट भी है और सोडियम भी है."
फ्रूट जूस
वे बताती हैं, "अतिरिक्त चीनी के बगैर फ्रूट जूस में कई अच्छी चीज़ें हैं जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉलिक एसिड वगैरह. अतिरिक्त चीनी वाले पैकेट में भी आयरन और कैल्शियम है. इसके अलावा दोनों में ही फैट्स बिलकुल नहीं हैं."
वे कहती हैं, "अतिरिक्त चीनी वाले पैकेट फल की प्राकृतिक चीनी सिर्फ़ 2.5 ग्राम है, बाकी 12.5 ग्राम चीनी अलग से जूस में मिलाई गई है."
फ्रूट जूस की सबसे बड़ी समस्या के बारे में डॉक्टर कहती हैं, "फलों से बैक्टीरिया का ख़ात्मा करने हेतु उन्हें इतना प्रोसेस किया जाता है कि उनसे फाइबर और फल के अन्य पोषक तत्व पूरी तरह से हट जाते हैं. इस कारण ब्लड शुगर की समस्या काफी बढ़ सकती है."
पीनट बटर और चॉकलेट स्प्रेड
आजकल ज़्यादातर लोग अपनी सुबह की शुरुआत ब्रेड के साथ पीनट बटर या चॉकलेट स्प्रेड के साथ करते हैं.
डॉक्टर योगिता का दोनों चीज़ों के लेबलों की जांच करने के बाद कहना है, "पीनट बटर की पहली सामग्री है 91% मूंगफली और चॉकलेट स्प्रेड की पहली सामग्री है चीनी (जिसका प्रतिशत पैकेट से नदारद है). इससे यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य के नज़रिए से पीनट बटर, चॉकलेट स्प्रेड की तुलना में अधिक लाभदायक है क्योंकि मूंगफली प्रोटीन और अन-सैचुरेटेड फैट का बेहतरीन स्रोत है."
मगर डॉक्टर योगिता पीनट बटर की बाकी सामग्रियों से जुड़ी गड़बड़ की ओर इशारा करती हैं, "दूसरी सामग्री हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल ऑयल है जो कि ट्रांस फैट है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर दिल को बीमार बनाता है. तीसरी सामग्री नमक/सोडियम है जिसकी मात्रा पैकेट से गायब है.
चॉकलेट स्प्रेड के बारे में वो बताती हैं, "13 फीसदी हेज़लनट यानी अनसैचुरेटेड फैट होने के बावजूद भारी मात्रा में चीनी का होना और साथ वेजिटेबल ऑयल के रूप में नुक़सानदेह सैचुरेटेड फैट का मौजूद होना चॉकलेट स्प्रेड को नुक़सानदेह ही बनाता है."
चिप्स
दो ब्रांड के चिप्स के लेबलों की तुलना करते हुए डॉक्टर योगिता कहती हैं, "दोनों ही पैकेट्स कार्बोहायड्रेट और सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर हैं. प्रोटीन तो नाममात्र (6 ग्राम व 7.8 ग्राम) डाला गया है."
कार्बोहायड्रेट जिसकी मात्रा सबसे अधिक है, उसके बारे में वह कहती हैं, "दोनों पैकेट्स में आलू और कॉर्न के रूप में पहले से ही इतना ज़्यादा कार्बोहायड्रेट मौजूद है लेकिन सामग्री की सूची में तीसरे और चौथे स्थान पर चीनी और कॉर्न चिप्स में फ्रुक्टोज़ के रूप में अतिरिक्त चीनी होना उस कार्बोहायड्रेट को बढ़ाकर और हानिकारक बना देता है."
आगे वह कहती हैं, "रही-सही कसर पूरी कर देते हैं 13.5% और 15.8% हानिकारक सैचुरेटेड फैट्स."
सबसे दिलचस्प बात है इन दोनों फ़ूड लेबलों से सोडियम की मात्रा का नदारद होना जिस पर डॉक्टर योगिता कहती हैं, "चिप्स है तो ज़ाहिर है इसमें नमक भी होगा. मगर सोडियम की मात्रा का दोनों ही लेबलों पर साफ़ न होना हैरतंगेज़ बात है."
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